Monday, April 20, 2015

खोखली ख़ुशी

खुशी की लकीरे
चेहरे पर फैल गई
होंठो के पीछे छिपे दांत चमक उठे
उसे लगा बरसो पहेले लगे चोट से दर्द मिट गया हो

वो लम्बी गहरी साँस लिए हँसे जा रहा था
ऐसी ख़ुशी के लिया तरसा था वो

आज किसी पुराने दोस्त का सब कुछ खो गया था
दोनों गरीबी,अभाव में साथ रहे
एक की मेहनत ने उसे रोटी,इज्ज़त,घर दिया
दूसरा अपनी गरीबी को कोसता,
तंगी से जूझता रहा उम्र भर

एक की सम्पनता और दुसरे के गरीबी
साथ में रहा न सकी
गहरी खाई पट गई दोस्तों में

आज गरीब दोस्त खुश था की
आमिर दोस्त फिर से उसके जैसा हो गया
वो सारी जिंदगी दुखी रहा
अपने दोस्त की खुशी से

आज का समाज ऐसे ही खुश है
अपनी सफलता से नहीं
किसी के हार पर खिलती चेहरे पर हँसी है

कैसी खोखली खुशी है?

अपनी खुशियां को पहचानो -दीपक कुमार

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