Wednesday, December 20, 2017

इश्वर और मैं


2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 31 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जी रिंकी जी। आपके ब्लॉग पर मेरी सबसेपसंदीदा रचना। ईश्वर दूसरों के प्रति सद्भावना में ही तो बसता है। दूसरों के लिए अच्छा सोचना एसऔर करना ही उसकी सच्ची आराधना है। जिसमें उसका अस्तित्व व्याप्त हो वह व्यक्ति सुखी सच्ची सद्भावना से भरा होता है।

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