Friday, April 12, 2024

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही

खामोशी में सुन  बैठे

 साथ जो न बीत सके

हम वो अँधेरे चुन बैठे

कितनी करूं मैं इल्तिजा

साथ क्या चाँद से

दिल भर कर आँखे थक गया

फिर भी ना रो पाये हम


जुड़  ना पाये बाद तेरे

टुकड़े दिल के रखूँ क्या

याद तेरी कोई बात नहीं

लफ्ज़ों में मैं लिखूं क्या?

छाँव थी तेरे साथ की

बेरहम धुप ने 

राख किया। 


Wednesday, March 27, 2024

अपनी खुशियां को पहचानो -दीपक कुमार

 चेतन मन की जागृति

स्वयं को जानने का मार्ग

आपको यह मानो वैज्ञानिक तथ्य जानकर यह हैरानी होगी की हमारा जो दिमाग है, इसे बदलाव पसंद नही है, थोड़े से बदलाव होने से यह चिढ़ जाता है और हमें सिग्नल देता है कि फिर से वैसे ही बन जाओ जैसे पहले थे। इसी तथ्य के कारण हम अपनी आदत से लंबे समय 

तक छुटकारा प्राप्त नहीं कर सकते पर हमारा दृघ निश्चय मजबूत हो तो दिमाग के इस खेल से बाहर हम बाहर हो सकते है और हमारा यह लिया हुआ कदम बहुत बड़ा बदलाव हमारे जीवन में ला सकता है।

           हम अपनी सोचा और अपनी बरताव की बजह से अपनी ही लाइफ में मुसीबतें खड़ी कर लेते है और तब हम अपनेआप से नाराज हो जाते है, दुखी हो जाते है और अपने को दोष भी देने लग जाते है। अगर जीवन में खराब स्थिति से बचाना है तो सबसे पहले अपने आप को बदलना पड़ेगा। हम अक्सर ये सोचते रहते है कि लोग अच्छे नहीं है, उसे ऐसा करना चाहिए, उसे वैसा करना चाहिए। पर हम अपने आप को बदलने को कभी नही सोचते। आप अपने आपको किस तरह बदल सकते है। यहां पर कुछ शेयर किया जाता है - जिन्होंने अपने जीवन को बदला है। उन्होंने अपने जीवन में किस प्रकार का बदलाव किया है, ठीक उसी प्रकार आप भी अपने जीवन में प्रेरणा लेकर बदलाव कर सकते है।

१. अपनी कमजोरियों पर काम करो:-  हम हमेशा दूसरे के खामियों को निकलते है। उनकी कमजोरियों पर हंसते है पर हमे खुद की कमजोरियां कभी दिखाई नही देती। अपने आपको बदलने के बारे में सोचते तक नहीं है।इसलिए हम जीवन में पीछे रह जाते हैं। इसलिए दूसरों के कमजोरियों के बजाय खुद की कमजोरियां पर ध्यान दे और अपने आप पर काम करके खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करो। अगर अपने आपको बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद के आदतों को बदलना बेहद ज्यादा जरूरी है। क्योंकि इंसान की आदतें अच्छी है तो वह अपने जिंदगी में कुछ भी बेहतर कर पता है और अगर आदतें खराब हो तो वह जिंदगी में पीछे रह जाता है।    

              इसलिए आपको जल्दी उठना, मेडिटेशन और एक्सरसाइज करना, हेल्दी खाना खाना, अपने रेगुलर रूटीन को सही से फ़ॉलो करना, जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद करना, दूसरों के साथ सम्मान से पेश आना और अपने समय का सही से स्तेमाल करना, इन जैसी आदतों को अपनाना होगा। 

२. गुस्से पर काबू रखो:-  कई बार छीजे अपने हिसाब से न होने पर या फिर कोई ऐसी सिचुएशन आ जाती है, जहां पर हमे ज्यादा गुस्सा आ जाता है, उस वक्त अपने गुस्से को काबू नही रख पाते, पर जब हमारे गुस्से के कारण सिचुएशन और ज्यादा खराब हो जाती है, चीजें और ज्यादा बिगड़ जाती है तब जाकर हमे एहसास होता है कि हम गलत थे।

                इसलिए जब भी गुस्सा आए तो थोड़ी देर शांत रहें। और सोच समझकर फैसला लें। ऐसा करने से आप लोगों के समझ में ज्यादा और समझदार बन जाओगे।

३. दूसरों को समझने की कोशिश करो:- कई बार हम दूसरे के हालात को,  उनकी मजबूरियों को समझ नही पाते और ऐसे में हमे लगता है कि हम ही सही है। उसी के चलते बात और बिगड़ जाती है और हम दूसरों के नजरों में बुरा बन जाते है। जितना ही आप लोगों को समझोगे, उन्हे सपोर्ट करोगे, उनकी भावनाओ का कद्र करोगे, उतना ही लोग आपको पसंद करेगे।

४. नई तकनीकी ज्ञान सीखो:- जो चीजें आपको जीवन में आगे ले जा सकती है, ऐसी तकनीकी ज्ञान सीखो इससे नए नए अवसर आपके सामने आ जायेगे। जिससे की आप अपने आप को बदल पाओ और अपनी जीवन को और भी ज्यादा बेहतर बना पाओगे।

५. ज्यादा मत सोचो:- कई बार हम अपना ज्यादातर वक्त  सिर्फ सीखने में ही गवा देते हैं। जब भी अपनी जीवन में बहुत  कुछ करना होता है, पर वे नही कर पाते है। ज्यादा सोचने से अच्छा है जो कुछ भी हमारे पास विचार है, जो कुछ भी हमारे पास आइडियाज है, उन्हे अपनी जीवन में लागू करें। जिससे की हम अपने आप को और अपने जीवन को समय रहते बदल सकें।

६. अपना लक्ष्य निर्धारित करो:-  अपनी जीवन का एक गोल निर्धारित करो और उसपे लगातार मेहनत करो। इससे अपनी जीवन में कभी भटकोगे नही, बल्कि आप एक ही दिशा में बढ़ पाओगे और अपने आप को बेहतर बना पाओगे।

७. अपनी पर्सनालिटी सुधारो:-  अपने आप को बदलने के लिए आपको अपनी  पर्सनालिटी पे काम करना जरूरी है। अपनी  पर्सनालिटी को सुधारना मतलब अपनी चल - ढाल, आपके उठने बैठने का तरीका,  लोगों से बात - चीत करने का तरीका, आपकी बॉडी लैंग्वेज, आपके पहनावा ओढावा, और आपके सोचने समझने का तरीका। इन सब चीजों पर आपको काम करना परेगा। जिससे की आप अपने आप को बदल सकें और लोगों पर आपकी अच्छी इंप्रेशन पर सके।

८. परिपक्व बनो:- कई बार हम छोटी - छोटी बातों पर दूसरे से बहस करने लगाते है, उनसे लड़ने लगाते है और इतना सब करने के बाद भी हमारे हाथ कुछ नही लगता, isa चक्कर में हमारा समय भी बर्बाद हो जाता है। इसलिए जिस बात को लेकर आप परेशान हो या दूसरों से लड़ रहे हो वो बात आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण है वो देखो और उसके हिसाब से सोच समझ कर आप अपना निर्णय लो खामखा बेवजह की बातो को लेकर अपना समय बर्बाद मत करो।

९. अपनी सोच बदलो:- समय के साथ आपको अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। जैसे पैसा बुरी चीज है, ज्यादा बड़ा मत सोचो, ये हमारी बस की बात नही है। अगर आप इसी पुरानी सोच और माइंडसेट रखोगे तो अपने आपको 

कभी बदल नही पाओगे। आपकी सोच बदलने के लिए आपको नए लोगो से मिलना होगा। जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए सोचना पड़ेगा। खुद का कम्फर्ट जोन तोड़कर बाहर निकलना होगा। तभी आप खुद को बदल पाओगे। अपने आप को बदलने के लिए किसी के ऊपर आश्रित मत रहो। खुद को दूसरों से तुलना मत करो। लोगो को मदद करो और किसी के लिए भी हर टाइम एवलेबल मत रहो। कोई भी रिश्ता निभाते वक्त सेल्फ रिस्पेक्ट का ध्यान रखो और दूसरों के साथ - साथ पहले अपना शरीर, फिर पत्नी, बच्चे, तब समाज। माता - पिता तो भगवान से भी बढ़कर है उसे कभी दुख नहीं देना हमेशा ध्यान देते रहना।

१०. बुरे लोगों की संगति छोड़ो:- संगति का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। एक अच्छी संगति हमे अज्ञानी से विद्वान बना देती है और वही बुरी संगति विद्वान को भी अज्ञानी बना देती है। अगर आपके मित्र अच्छे है और वह आपसे नए - नए क्रिएटिव बातें करते है। जैसे इन्वेस्टमेंट,

स्टार्टअप, बिजनेस, टेक्नोलोजी या फिर जो भी फिल्ड के आपके दोस्त हैं, अगर आपके ग्रुप में ऐसी बाते होती है तो आप भाग्यशाली हो जो आपको ऐसे दोस्तों का ग्रुप मिला। इसी से आपके जीवन में बदलाव आ  जाएगा और आप यह बदलाव स्वयं देखेंगे। इसके विपरित आपके दोस्त बुरी संगति में है तो आप उसमे लगातार फसते चले जायेंगे। निकलने में काफी ज्यादा टाइम लगेगा और अगर आपने यह सोचा नहीं की मुझे बदलना है, फिर आपको कोई बदल नही सकता। 

११. सकारात्मक सोच रखें और आध्यात्मिक बनें:-  चाहे टेक्नोलॉजी कितनी ही क्यों न बढ़ गया हो, हमे अचेतन मन की शक्ति और चेतन मन की शांति हमे अध्यात्म से ही मिलेगी। इसलिए यदि अचेतन मन की शक्ति बढ़ाना हो तो ध्यान साधना ही काम ने आता है और चेतन मन की शांति के लिए भी ध्यान बहुत जरूरी हो जाता है।

         आज के टेक्नोलॉजी और युवा पीढ़ी एक ऐसी तरफ मोड़ दे रही है जहां अध्यात्म को भूल ही जाए, पर हमे यह नही भूलना चाहिए कि अध्यात्म और  श्रमण संस्कृति की वजह से हमे ज्ञान प्राप्त हुआ है।

१२. आप सभी लोगों को खुश नहीं कर सकते:-  सोचना है कि आप से सभी लोग खुश रहे, तो यह काम आप जीवन भर करते  रहेंगे तो यह कभी भी जीवन भर में पूरा नहीं होगा। क्योंकि एक व्यक्ति के जीवन में सैकड़ों रिश्ते होते है। एक को खुश करते है तो दूसरा दुखी हो जाता है। जो सबको खुश करने में लगे होते है वे सदैव दुखी रहा करते है। जब भगवान सबको खुश नही रख सके तो मनुष्य की क्या बिसात की सबको खुश रखा सकते है। हर एक व्यक्ति की  अलग -अलग पहचान होती है। ऐसा इस दुनियां कोई नही जो आप के जैसा ही हुबहु आपही की तरह हो। आपके अच्छे स्वभाव से आप ज्यादातर लोगों को खुश रख सकते है। लेकिन सबको खुश रख पाना नामुमकिन है। अतः अपने आपको खुश रखिए।


दीपक कुमार 


Tuesday, March 5, 2024

मैं हां में हां मिलाना चाहता हूं- Fehmi Badayuni

 तुम्हें बस यह बताना चाहता हूं

मैं तुमसे क्या छुपाना चाहता हूं

कभी मुझसे भी कोई झूठ बोलो
मैं हां में हां मिलाना चाहता हूं

अदाकारी बड़ा दुख दे रही है
मैं सचमुच मुस्कुराना चाहता हूं

अमीरी इश्क़ की तुमको मुबारक
मैं बस खाना कमाना चाहता हूं

मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा
मैं तुमको याद आना चाहता हूं

Wednesday, January 24, 2024

तीसरे के मुंह से निकला- 'आलू'।

 गोली खाकर

एक के मुँह से निकला - 'राम'। दूसरे के मुँह से निकला- 'माओ'। लेकिन तीसरे के मुंह से निकला- 'आलू'। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट है कि पहले दो के पेट भरे हुए थे। 【सर्वेश्वरदयाल सक्सेना】

Thursday, January 11, 2024

निर्वाण षट्कम: राग व रंगों से परे

 निर्वाण षट्कम का मूल भाव वैराग्य है। इस मंत्र को ब्रह्मचर्य मार्ग का समानार्थी माना जाता है। इसकी ध्‍वनि हमारे अंतरतम की गहराइयों में हलचल पैदा कर देती है। 


॥ मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण ने न च व्योम भूमिर् न तेजो न वायु: चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥ न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायुः न वा सप्तधातुर् न वा पञ्चकोश : न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् । न मे द्वेष रागौ न मे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भावः न धर्मो न चार्थो न कामो ना मोक्ष: चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखम् न मन्त्रो न तीर्थं न वेदाः न यज्ञाः अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। न मृत्युर् न शंका न मे जातिभेद: पिता नैव मे नैव माता न जन्म न बन्धुर् न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥ अहं निर्विकल्प निराकार रूप विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् न चासंगतं नैव मुक्तिर् न मेय: चिदानन्द रूपः शिवोऽहम् शिवॊऽहम्

मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं
मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं
मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।


मैं न प्राण हूं,  न ही पंच वायु हूं
मैं न सात धातु हूं,
और न ही पांच कोश हूं
मैं न वाणी हूं, न हाथ हूं, न पैर, न ही उत्‍सर्जन की इन्द्रियां हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।


न मुझे घृणा है, न लगाव है, न मुझे लोभ है, और न मोह
न मुझे अभिमान है, न ईर्ष्या
मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

मैं पुण्य, पाप, सुख और दुख से विलग हूं
मैं न मंत्र हूं, न तीर्थ, न ज्ञान, न ही यज्ञ
न मैं भोजन(भोगने की वस्‍तु) हूं, न ही भोग का अनुभव, और न ही भोक्ता हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव
मेरा न कोई पिता है, न माता, न ही मैं कभी जन्मा था
मेरा न कोई भाई है, न मित्र, न गुरू, न शिष्य,
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं
मैं चैतन्‍य के रूप में सब जगह व्‍याप्‍त हूंसभी इन्द्रियों में हूं,
न मुझे किसी चीज में आसक्ति है, न ही मैं उससे मुक्त हूं,
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि‍, अनंत शिव हूं।

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...