Sunday, November 29, 2015

सुन्दरता

चाहे कितना भी भर लो
अपनी सोच से ज्यदा
पहुँच से ऊपर

ढेर लगा लो पैसे का
जाल बिछा लो रिस्तो का
जितना हो सके खरीद लो
छल लो किसी को प्यार के नाम से

खुद को बंद कर लो
खुशी नाम के संदूक में
चाहे कुछ भी कर लो
जीत नहीं पाओगे
भीतर के सूनेपन को

आकाश से कम है तुम्हारे पास
न कोई मुकाबला, न कोई मेल
अनगिनत तारे, सूरज, गृह
आकाश गंगा और हजारो लोग

सब भरा पड़ा है
फिर भी खाली दिखता है
सुना नज़र आता है
गुमसुम हो कर भी सुन्दर दिखता है

आकाश सिर्फ अपने आप को सुनता है
कभी खुद को सुनो
खालीपन के सुन्दरता को देख
 सकेगो

Rinki

Tuesday, November 24, 2015

दर्द

गुलज़ार कहते है
खुशी फूलझड़ी सी होती है
रोशनी बिखरती झट से खत्म हो जाती है

दर्द देर तक महकता है
भीतर ही भीतर सुलगता है
उसकी खुशबू जेहन में देर
तक रहती है

ख़ुशी को भी हम
दर्द भर कर अहा से याद करते है
क्योंकि दर्द ही देर तक ठहरता है
दर्द यादों में जम जाता है
पिघलता है आंसू बन
कभी हंसी में बिखर जाता है


क्योंकि दर्द ही देर तक ठहरता है

Saturday, November 14, 2015

बाल दिवस

बाल दिवस के मेले में
हर बाल कन्हिया बन नाच रहा
हर बालिका मलाला बन कर अपने
अधिकारों पर बात रख रही
हर बच्चा कलाम सा दिख रहा
हर के चहरे पर प्रतिभा का नूर बिखर रहा

वो जो लड़का खड़ा है एक कोने में
बस रंग-बिरंगे गुबारे को देख रहा
लाल उसे लड्डू सा नज़र आ रहा
हरा रंग के चप्पल का जाने कब से सपना देख रहा
लड़का बस रंग-बिरंगे गुबारे को देख रहा

गिनती के गुबारे बचे है
कब खत्म होगे सोच रहा
बाल मेला में घूम सके
हर बच्चे को हसरत भरी आँखों से देख रहा

वो कोने में खड़ा गुबारे बेच रहा
बस रंग-बिरंगे गुबारे को देख रहा

Rinki








Sunday, November 8, 2015

मिट्टी का दिया

कुम्हार चाक चलता हुए सोचता
कितना बिक पाएगा दीया इस बार
बिजली के बल्ब और मोमबती के बीच
क्या कही टिक पाएगा
मिट्टी का दिया इस बार

मिठाई आती है अब दुकानों से
पहले जैसा कहा मानता अब त्यौहार
सस्ती चीजों से पटा है बाज़ार
पल्स्टिक से बने सामान
बिगाड़ रहे गरीब कलाकारों का त्यौहार

क्या कभी किसी ने सोचा है
अपने ही देश का कुम्हार कैसे मनाएं त्यौहार
जब हम चीन में बने लक्ष्मी, गणेश की मोतियों
को खरीद लाते है हम हर बार

काश हर घर मिट्टी का दिया जलाए
ताकि मेरे बच्चो को भी लगे की
इस बार दीपावली का है त्यौहार


Rinki

Sunday, November 1, 2015

रावण मरता क्यों नहीं?

बार-बार जलाने के बाद भी
रावण साल दर साल
विशालकाय और विकराल रूप धारण
करता रहा

ना रावण को जलानेवाला हारे
ना ही रावण हारा
सिलसिला सदियों तक चलता रहा

रावण को जलानेवाले खुश है की
अपने से सौ गुना विशालकाय
रावण को हर बार जला ही देते है
रावण उनसे ज्यदा खुश है
जाने कब से जला रहे है फिर भी मुझे मार नहीं पाते?

कुछ बुधजिवी को गहरे रहस्य के बारे में पता था
रावण हर साल जालकर भी क्यों मरता नहीं



वो जानते है, रावण का हर साल जलना
जरुरी क्यों है?
कई परिवारों का चूल्हा जलता है
एक रावण के जलने से

रावण भी जनता इस सत्य को
उसे जलानेवाला वाले उसे क्यूँ नहीं मार सकते?
लालच,क्रोध,इर्षा,चाहत दुःख और वासना
जैसे रावण को कभी मारा ही नहीं सके
इसलिए उन्हें आभासी रावण को जलाना पड़ता है
और यही सत्य रावण की अमरता का रहस्य है





मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...