Sunday, June 26, 2016

तुम से मुलाकात फिर न होगी

तुम से मुलाकात फिर न होगी
जिंदगी में लोंग तो आते रहेगे
पर तेरे-मेरे आँखों में
जो छुपकर होती थी बात
अब किसी ओर के साथ न होगी

मेहरम

चुप ने ऐसी बात कही खामोशी में सुन  बैठे  साथ जो न बीत सके हम वो अँधेरे चुन बैठे कितनी करूं मैं इल्तिजा साथ क्या चाँद से दिल भर कर आँखे थक गय...